May 2, 2025
  • उमाशंकर पांडेय

गांव में पानी रोकने का उपयुक्त अवसर परंपरागत जल स्रोतों तालाब कुआं नालो को पुनर्जीवित कर मजदूरों को रोजगार गांव मिले 1978 -79 में मा जमुना प्रसाद बोस पंचायती राज ग्रामीण विकास के कैबिनेट मिनिस्टर थे देश में अकाल था बाढ़ के बाद सूखा खासकर बुंदेलखंड में हालात खराब थे तब उन्होंने काम के बदले अनाज योजना शुरू कराई थी जिसमें प्रत्येक गांव में तब बांदा चित्रकूट एक था।

हर गांव में तालाब का गहरीकरण तालाब के बड़े बड़े मोटे भीटे के साथ प्रत्येक गांव को कच्चे मिट्टी के लिंक रोड से जोड़ा कुओं की सफाई गांव के नालों का गहरीकरण गांव के किसानों की खेतों की नालियों की सफाई गहरीकरण का काम देकर गांव में ही रोजगार मजदूरों को बड़ी मात्रा में उपलब्ध कराएं थे इससे एक और जहां गांव में लोगों को रोजगार मिला वहीं बड़ी संख्या में तालाबों का पुनरुद्धार हुआ।

गांव में पानी रुका 40 साल पहले खुद बानये गए तालाब की चर्चा आज भी गांव वासी करते हैं बोस जी की चर्चा करते हैं बोस जी को याद करते हैं।जब भी देश में अकाल सूख पड़ा तब तब राजा महाराजाओं ने अपनी जनता को रोजगार देने के उद्देश्य के भुखमरी से कोई अनहोनी घटना ना हो, कोई भूखा ना रहे रोजगार केवल राहत कार्य के अंतर्गत बड़े बड़े तालाब खुदवाने गए जिन्हें बुंदेलखंड में आज भी देखा जा सकता है। हमारे देश में सूखे और अकाल की लंबी कहानी है वर्ष 1801 से 2016 तक 47 बार गंभीर सूखा पड़ चुका है देश को जल संकट से उभारने के लिए पलायन रोकने के लिए रोजगार देने के उद्देश्य से पुराने तालाबों को फिर से जीवित करना उचित प्रतीत होता है गांव में पानी होगा किसानी ठीक होगी पेड़ पौधे होंगे खुशहाली आएगी पशु पक्षी जीवित होगे फिर से गांव गांव लगेगा।

आचार्य चाणक्य ने अकाल और भुखमरी के समय जनता को रोजगार के रूप में जलाशय निर्माण बनाने की बात कही है ।जिसमें तालाब आदि खेती के लिए कुओ से रहट द्वारा पानी निकालने का अविष्कार आचार्य चाणक्य कार्यकाल में शुरू हुआ। राजा भोज के समय बडा अकाल पड़ा तब उन्होंने भारत का सबसे बड़ा तालाब 65000 हजार एकड़ का भोपाल में बनवाया जिसे आज भी देख सकते हैं। 11 वीं शताब्दी में भोज तालाब को जो भी भोपाल जाता है जरूर दर्शन करता है।

बुंदेलखंड में लगभग 15,000 से अधिक तालाब सूखे पड़े है इन्हें गहरा कर पानी भर दिया जाए तो बुंदेलखंड का सूखा दूर हो जाएगा पानी होगा तो बुंदेलखंड का पलायन रुकेगा रोजगार के अवसर सृजित होंगे मेरा सभी से निवेदन है। खासकर माननीय जनप्रतिनिधियों से सरकार से कि वे इस दिशा में प्रत्येक गांव में एक मॉडल तालाब विकसित कराएं उनके द्वारा विकसित किए गए तालाब देखकर जनता उन्हें याद करेगी करोना जैसी बीमारी बार-बार ना आए सबक लेने की जरूरत है जेसीबी मशीन का इस्तेमाल कम से कम हो जहां श्रम शक्ति मजदूर ना हो वहां वर्तमान में हर गांव में बड़ी संख्या में मजदूर उपलब्ध हैं जिन्हें रोजगार की जरूरत है इनकी श्रम शक्ति का उपयोग जलाशय के पुनरुत्थान में हो सकता है।

माह जुलाई में वृक्षारोपण तालाबों की मिट्टी पर हो उचित हो तो विचार करें ऐसा अनुरोध है। वास्तव में पानी ही करोना जैसी बीमारी से लड़ रहा है इस प्रकृति की दवा को अधिक से अधिक अपने पास रखें अपने गांव में जमा करें वरुण देवता होंगे गांव खुशहाल रहेगा यह मेरा निजी अनुभव विचार है उचित लगे तो साझा करें अपने अपने गांव में तालाब के पुनरुत्थान के लिए अपनी क्षमता के अनुसार प्रयास करें नियमानुसार शायद कोई सुनले जल देवता के लिए