
-लोकेश शर्मा
जलग्राम जखनी ने बिना सरकारी मदद के निर्भरता के सारे बन्धनों को पीछे छोड़ दिया है और आज जखनी पूरे विश्व के लिए जल स्वावलंबन में एक आदर्श उदाहरण है – जल सचिव

नई दिल्ली, 20 दिसम्बर | नीति आयोग के आदर्श जलग्राम जखनी के सन्देश “खेत पर मेड, मेड पर पेड़” के साथ जल मित्र – अनुपम सम्मान का आयोजन दिल्ली के प्रैस क्लब में किया गया | कार्यक्रम के निदेशक टिल्लन रिछारिया ने बताया कि जल संसाधनों और विशेषकर तालाबों के लिए जीवन पर्यंत कार्यरत कर्मठ योद्धा अनुपम मिश्र जी को समर्पित इस कार्यक्रम में जल को लेकर देश के विभिन्न भागों से आये हुए विद्वतजनों और अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यरत जल मित्रों का सम्मान किया गया | सूखे और भुखमरी के लिए चर्चा में आये उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड के बाँदा जिले से केवल 14 किलोमीटर की दूरी पर महुआ ब्लाक के गाँव जखनी के पुरुषार्थी श्री उमाशंकर पाण्डेय ने 15 वर्ष पूर्व ने बिना किसी सरकारी मदद के गाँव के जलश्रोतों को जीवंत करने का संकल्प गांववासियों के साथ लिया और आज जखनी जल के मामले में आत्मनिर्भर होकर भारत ही नहीं पूरी दुनिया में अपनी खेती-किसानी और पैदावार के लिए आत्मनिर्भर गाँव बन गया |
प्रेस क्लब के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में भारत सरकार के जल सचिव उपेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि बिना किसी सरकारी मदद के जखनी ने सारे निर्भरता के बन्धनों को पीछे छोड़ दिया है और आज जखनी पूरे विश्व के लिए जल स्वावलंबन में एक आदर्श उदाहरण है और वास्तविकता में आकाल पीड़ित बुंदेलखंड का जलतीर्थ है | जमीनी तौर पर गिरते हुए भूजल स्तर के लिए जखनी का माडल आज पूरे देश में प्रयोग में लाना चाहिए | भारत के गावों ने ही नहीं इजरायल ने भी इस प्रयोग को देखकर स्वीकार किया है | ये गाँव के जागरूक और कर्मठ उमाशंकर की बदोलत हुआ है, भारत का हर किसान उमाशंकर बन जाये तो कहीं कोई किसान जल के लिए नहीं तरसेगा |

गंगा एक्शन प्रोग्राम के प्रथम निदेशक और प. बंगाल के पूर्व प्रमुख सचिव श्री प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि जखनी ने नदी जल पर निर्भर न होकर बरसात के पानी को खेतों में बड़ी मेड बनाकर उसे प्राकृतिक संसाधनों तालाब, कुँओं में कुशल प्रबंधन के द्वारा समायोजित करके भूजल को पुनर्जीवित कर लिया जो हमारी ऋषि मुनियों द्वारा दी गई जल संग्रहण की पुरातन पद्धति है | हमें अपने ऋषि मुनियों की दी इस व्यवस्था को पूरे देश के किसानों को समझाना और बताना होगा यही आज के समय में जल और गिरती भूजल समस्या का समाधान है |

कृषि एवं प्रद्योगिक विश्वविद्यालय बाँदा के निदेशक श्री एन. के. बाजपई ने कहा कि जखनी के जल संग्रहण और कृषि का माडल पुरे देश में प्रयोग में लाना अतिआवश्यक है | प्रसार भारती के अतिरिक्त महानिदेशक राजशेखर व्यास ने कहा की देश के प्रचार माध्यमों से जखनी के माडल को जोर शोर से किसानों के बीच प्रस्तुत करना आज की आवश्यकता है | एक लाख गावों में एकल विद्यालय संचालित करने वाले एकल अभियान के अध्यक्ष नंद्किशोरे अग्रवाल ने कहा कि एकल अभियान जखनी के प्रयोग को एकल के माध्यम से देश के गावों में शिक्षा के माध्यम से लेकर जाय्रेगा | भारत सरकार के पूर्व सचिव विश्वपति त्रिवेदी ने कहा कि जखनी ने भारत की पुरातन जल संग्रहण पद्द्ति को पुनर्जीवित कर स्वावलंबन की दिशा में एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है
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कार्यक्रम में खजुराहो विकास के चेयरमैन सुधीर शर्मा, ऋषिकुल आश्रम के अध्यक्ष वीरेंदर सराफ, डॉ. शिवपूजन अवस्थी, रजनीश सोनी, नंदिता पाठक, वाटर डाइजेस्ट की अनुपमा मधोक, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के लोकेश शर्मा, हैदराबाद की वसंत लक्ष्मी, चारू उपाध्याय, शांतिभूषण सिंह, जीतेन्द्र शर्मा, महेश दिवेदी, पंजाब से युवराज आहूजा और अन्य अनेक जल मित्रों का जल के विषय में किये गए विभिन्न कार्यों के लिए सम्मान किया गया | कार्यक्रम की अध्यक्षता बाँदा के पूर्व सांसद भेरों प्रसाद मिश्र ने की |