May 1, 2025

नीति आयोग का…आदर्श जलग्राम ‘जखनी’

नीति आयोग ने जिस ‘जखनी जलग्राम’ को वर्ष 2019 में अपनी वाटर मैनेजमेंट रिपोर्ट में एक्सिलेंट परंपरागत मॉडल विलेज माना है। उस जखनी गांव के जल संरक्षण मॉडल पर तत्कालीन जल मंत्रालय ने जल क्रांति अभियान के तहत वर्ष 2016 में प्रत्येक जिले में दो जलग्राम बनाये जाने के लिए चिन्हित किये गये। देश के 1050 जलग्राम स्थापित करने का श्रेय जखनी गांव के किसानों, नौजवनों और मजदूरों को जाता है।

सूखे से जूझ रहे बुंदेलखंड के बांदा जिले का जखनी गांव देशभर के लिए मिसाल बेमिसाल बना है. जखनी ने जिस तरह खुद को बदला, उसका अध्ययन करने इजरायल सहित देश-विदेश के कृषि वैज्ञानिक आ रहे हैं.

नीति आयोग ने भारत  की वॉटर मैनेजमेंट इंडेक्स 2019 जारी किया। जिस गांव जखनी के परंपरागत जल संरक्षण के सामूहिक प्रयास को देश के लिए मॉडल माना है वह गांव सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के बांदा जनपद में आता है। इस सन्दर्भ में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, नीति आयोग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अमिताभ कांत, जल सचिव यूपी सिंह, नीति आयोग के जल सलाहकार अविनाश मिश्र, ग्रामीण विकास सचिव डॉक्टर अमरजीत सिन्हा के विचार व आकलन शामिल हैं।

जखनी गांव को नीति आयोग ने जलग्राम का मॉडल घोषित किया है. इसी तर्ज पर जल संकट से जूझ रहे देश के 1050 गांवों को जखनी जैसा जलग्राम बनाने की भी घोषणा की गई है. सूखे से जूझ रहे बुंदेलखंड के बांदा जिले का जखनी गांव देशभर के लिए मिसाल बना है. जखनी ने जिस तरह खुद को बदला, उसका अध्ययन करने इजरायल सहित देश-विदेश के कृषि वैज्ञानिक आ रहे हैं. साथ ही नेपाल के साथ-साथ तेलंगाना, देवास (मप्र), महाराष्ट्र और बांदा विश्वविद्यालय के छात्र आ रहे हैं. किसी वक्त सूखाग्रस्त रहे इस गांव में आज जहां वॉटर टेबल 20 फीट पर आ गया है. वहीं ना सिर्फ यहां मौजूद 5 पुराने तालाब आज लबालब भरे हैं बल्कि और नए तालाब भी खोदे गए हैं. इनमें भी बरसात के बाद पानी आ गया है. बांदा जिले में मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर की दूरी पर महुआ ब्लॉक के इस गांव की आबादी 2562 के करीब है. यहीं पर कृषि भूमि करीब 2472 बीघा है. गांव में 33 कुएं हैं, 25 हैंडपंप हैं और करीब छह तालाब हैं.