May 2, 2025

-उमाशंकर पांडेय

देश में जल संकट है जल में जीवन है पानी बनाया नहीं, बचाया जा सकता है अवसर है गांव में मजदूर है बेरोजगार है मनरेगा है पुरखों की सबसे पुरानी भू जल संरक्षण विधि खेत के ऊपर मेड, मेड़ के ऊपर पेड़ मा. प्रधानमंत्री जी ने मेड़बंदी के माध्यम से भूजल रोकने के लिए पत्र लिखा है। वर्षा बूंदों को जहां गिरे वही रोके जिस खेत में जितना पानी होगा खेत उतना अधिक उपजाऊ होगा

मेड ने खेत को पानी दिया, खेत ने पानी पिया पड़ोसी खेत को दिया फिर खेत ने तालाब को दिया तालाब ने कुआं को कुआं ने गांव को, गांव ने नाली को, नाली ने बड़े नाले को, नाले ने नदी को, नदी ने समुद्र को, समुद्र ने सूर्य को, सूर्य ने बादल को, बादल ने खेत को यही कहानी मैंने सुनी बचपन में यह एक सामान प्राकृतिक प्रक्रिया है जल से ही मानव जीवन की सभी आवश्यकताएं जल पर निर्भर हैं तभी तो जल ही जीवन कहा गया है।

मैं गांव का हूं हमारे पुरखे प्रतिवर्ष जून माह मे अपने खेत में मेड़बंदी करते थे किसान थे मेड बंदी के फायदे बताते थे। खेत खलिहान कृषि मौसम के परंपरागत वैज्ञानिक लोक कवि घाघ ने पानी रोकने के लिए मेड़बंदी को उपयुक्त माना है जल ग्राम के रूप में देश में पहचान रखने वाला गांव जखनी के किसानों का एक ही नारा है खेत पर मेड, मेड पर पेड़ समुदाय के आधार पर अपने संसाधन से 20 वर्ष से मेड बंदी कर रहे हैं।

मनुष्य को जब से भोजन की आवश्यकता पड़ी होगी हमारे पुरखों ने भोजन का आविष्कार किया होगा किस स्थान पर भोजन उगाया जाए फसलें पैदा की जाएं जमीन खोजी होगी खेत बनाया होगा खाद्यान्न अन्न पैदा करने के लिए खेत का निर्माण तय हुआ होगा तभी से मेड़बंदी जैसी जल संरक्षण की विधि का आविष्कार हुआ होगा यह हमारे पुरखों की विधि है जिन से खेत खलिहान का जन्म हुआ है एवं जिन्होने जल संरक्षण परंपरागत प्रमाणित सर्वमान्य मेड़बंदी विधि का आविष्कार किया है जिसमें किसी प्रकार की कोई तकनीक शिक्षा नवीन ज्ञान वैज्ञानिक ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है।मेड़बंदी से खेत में वर्षा का जल रुकता है भू जल संचय होता है भूजल स्तर बढ़ता है गांव का फसलों को जलभराव एवं आभाव के कारण होने वाले नुकसान से बचाता है, भूमि के कटाव के कारण मृदा के पोषक तत्व खेत से जाते हैं मेड बंदी के कारण मृदा कटाव रुक जाता है जिस से पोषक तत्व खेत में ही बने रहते हैं जो पैदावार के लिए आवश्यक है नमी संरक्षण के कारण फसल अवशेष से सड़ने से खेत को परंपरागत जैविक खाद ऊर्जा प्राप्त होती है।

मेड़बंदी से एक ओर जहां भूमि को खराब होने से बचाव होता है वही पशुओं को मेड पर शुद्ध चारा भोजन प्राप्त होता है मेड़बंदी, नाका बंदी, चकबंदी, घेराबंदी, हदबंदी, छोटी मेड़बंदी बड़ी मेड़बंदी तिरछी मेड़बंदी सुविधानुसार जैसे अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। धान गेहूं की फसल तो केवल मेड़बंदी से रुके जल से ही होती है हमारे पूर्वज जल रोकने के लिए खेत के ऊपर मेड, मेड के ऊपर फलदार छायादार औषधि पेड़ लगाते थे जिसकी छाया खेत में फसल पर कम पड़े जैसे बेल, सहजन, सागोन, करोंद , अमरूद, नींबू, पेड़ लगाए जा सकते हैं यह पेड़ इमारती लकड़ी आयुर्वेदिक औषधियां फल के साथ अतिरिक्त आय भी देते हैं इन पेड़ों की छाया खेत में कम पड़ती है इन के पत्तों से जैविक खाद मिलती है पर्यावरण शुद्ध रहता है।

मेड के ऊपर हमारे पुरखे अरहर, मूंग, उर्द, अलसी, सरसों, ज्वार, सन जैसी फसलें पैदा करते हैं जिन्हें पानी कम चाहिए जमीन सतह से ऊपर हो मेड से उपाज फसल ले सकते हैं। मेडबंदी से उसर भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है जहां-जहां जल संकट है उसका एकमात्र उपाय है वर्षा जल को अधिक से अधिक खेत में मेड़बंदी के माध्यम से रोकना चाहिए।

विश्व में हमारी आबादी 16% है जबकि जल संसाधन मात्र 2% है हमारे महामहिम राष्ट्रपति माननीय रामनाथ कोविंद जी ने 10 अक्टूबर 2017 को जल सप्ताह के अवसर पर कहा था कि भू जल संरक्षण के लिए हमें अपने गांव और शहरों में नए मापदंड स्थापित करने होंगे, देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 28 फरवरी 2016 को बरेली में कहा था कि 2022 तक किसानों की आय दुगनी हो इसके लिए किसान को पानी चाहिए इस दिशा में हम सब को सोचना होगा हमारे देश में वर्षा जल को मेड़बंदी के माध्यम से खेत में रोके 8 जून 2019 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश भर के प्रधानों को पत्र लिखा मेड बंदी कर खेत में वर्षा बूंदों को रोकें यह पत्र मुझे मेरे मित्र ने उपलब्ध कराया हमारे देश में बड़ी संख्या में नहर, तालाब, कुओं, निजी ट्यूबवेल, के सिंचाई साधन होने के बावजूद भी कई करोड़ हेक्टर भूमि की खेती वर्षा जल पर निर्भर है लाखों गांव में वर्तमान जल साधन उपलब्ध नहीं है वर्षा तों हर गांव में होती है वर्षा के भरोसे खेती होती है खासकर बुंदेलखंड के इलाके में पहाड़ी, पठारी क्षेत्र के खेतों को मेड़बंदी के माध्यम से जल रोककर उपजाऊ बनाया जा सकता है। हम ड्रिप पद्धति, टपक पद्धति, फुहारा पद्धति, किसी पद्धति से सिंचाई करें पानी तो सभी विधि को चाहिए। 1801 से 2016 तक 47 बार सूखा पड़ चुका है.

समुदायिक आधार पर जल संरक्षण की प्राचीन परंपरा हमारे देश में रही है उसी का परिणाम है कि देश में आज भी लाखों तालाब कुआ जलाशय जीवित है सिंचाई के दो ही साधन है या तो भूजल या वर्षा जल जब भू मे जल होगा तभी नवीन संसाधन चलेंगे भूमिगत जल पर जबरदस्त दबाव है। भूजल के अधिक दोहन से नदियां सूख रही हैं तालाब की परंपरा समाप्त हो रही है। भूजल 400 फीट से 1000 फिट तक नीचे चला गया है समस्त सभ्यताएं जल पर निर्भर हैं, हम बादलों पर निर्भर हैं चाहे तो बरसे, ना चाहे तो ना बरसे यदि वर्षा बूंदों को पकड़ना है तो मेड़बंदी करें कोई बड़ी तकनीक नहीं है 3 फीट चौड़ी 2 फीट ऊंची मेड बनानी है।

बुंदेलखंड के कई इलाके में एक फसल पैदा होती है खेत में 4 माह पानी रहेगा नमी रहेगी फसल सुंदर होगी मेड बंदी से जल रोकने का उल्लेख मत्स्य पुराण, जल संघीता, आदित्य स्त्रोत के अलावा वेदों में भी खासकर ऋग्वेद में लिखा है। कुशा को खेत की मेड पर पैदा करो जल क्रांति के लिए मेड़बंदी आवश्यक है देश में जल संकट है सौराष्ट्र कच्छ क्षेत्र में 1205 फीट गहराई तक पानी नहीं मिला, राजस्थान के कई जिलों में मालगाड़ी से पानी जाता है बोतल बंद पानी की मांग बढ़ रही है।वर्तमान में करोना जैसी बीमारी के डर से लाखों मजदूर शहर से अपने गांव पहुंच गए हैं मई-जून का समय है खेत खाली है मजदूरों को रोजगार चाहिए। मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना हमारी ग्राम पंचायतों के पास है इस योजना से बड़ी संख्या में रोजगार दिया जा सकता है किसान के खेत में मेड़बंदी करा कर इस प्रयास से भूजल स्तर बढ़ेगा, खेत की पैदावार बढ़ेगी वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में पलायन रुकेगा रोजगार मिलेगा, किसान मजबूत होगा खेत से पशु, पक्षी, जीव, जंतु, पेड़, पौधों को पानी मिलेगा।

धान, गेहूं, पान, गुड, गन्ना, कपास सब्जियों, पशु, औषधियों को मेड़बंदी के माध्यम से पानी मिलता है। खेत से पानी रोकने से गांव का भूजल स्तर बढ़ेगा हमने यह प्रयोग बुंदेलखंड के कई जिलों कि सैकड़ों गांव में खुद किसानों ने अपने पैसे से मेड़बंदी की है अथवा अपने श्रम से कुछ प्रधानों ने अपने गांव के किसानों के खेतों में मेड़बंदी कराई है सरकार की योजना से भी कुछ जगह मेड़बंदी कोई है परिणाम उचित रहे हैं कुछ साथियों ने भारत के कई सूखा प्रभावित राज्यों के गांव में खेतों में मेड़बंदी करके जल रोका है उन गांव का जल स्तर बढ़ा है।

जल शक्ति मंत्रालय ग्रामीण विकास मंत्रालय लघु सिंचाई विभाग सभी से मेरा अनुरोध है कि सारी योजनाओं को कुछ समय के लिए रोक कर केवल वर्षा जल रोकने के लिए उपाय करें परिणाम आपके सामने तुरंत मिल सकते हैं।बुंदेलखंड की 6 लाख हेक्टेयर भूमि वर्षा जल पर आधारित है इन खेतों में मेड़बंदी कर जल रोका जा सकता है। किसान होने के नाते मैंने प्रयोग किया है मेरे गांव वा क्षेत्र का मेड़बंदी के कारण भूजल स्तर बढ़ा है। जन जंगल जानवर जल जमीन खुश हुई तो देश खुशहाल होगा।

234Satyanarayan Misra, Ramshankar Mishra and 232 others153 Comments54 SharesLikeComment

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