May 2, 2025

जून 26, वेब प्लेटफॉर्म गूगल मीट 
जब एक कप पानी से  पूरी हजामत बन सकती थी तो आज एक दाढ़ी बनाने के लिए 3 से 5 लीटर पानी क्यो खर्च होता है? पानी के लिए क्या राष्ट्रीय नीति कोई फायदा कर रही है। क्या सरकारी अधिकारी और पुलिस जल सेवको को काम  नही करने दे रहे है?. इन सभी प्रश्नों पर आज गंभीर और जिम्मेदार लोगों ने गंभीरता से विचार किया। जलाधिकार फाउंडेशन से जुड़े प्रोफेसर बीर सिंह निगम के पहल पर आयोजित इस वेबनार मे देश के विख्यात जलग्राम संस्था के प्रबंध निदेशक श्री टिल्लन रिछारिया ने अपने अनुभवों को साझा करते हुये बताया कि यदि देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो देश के गाँव को प्रमुखता देनी होगी। तालाबो, कुओं, बावडिओ,जलस्रोतों को या अन्य वाटर बॉडीज को जीवित करना होगा। उन्होंने महाराष्ट्र के अनेक गांव में पानी के लिए जलग्राम बनाए गए सफल प्रयोगों के वर्णन किया। बुलदेखण्ड में जलग्राम संस्था के कार्यों का उन्होंने जिक्र भी किया। उनका मानना था कि हम नेताओ को मंच, माला, और माइक के लिए क्यो बुलाते है यदि नेताओं को इतनी ही हमारी जरूरत है तो वे हमें बुलाएं ,कार्यक्रम अपने कार्यालयों में आयोजित करें। टिल्लन रिछारिया ने कविता के माध्यम से भी अपने उद्देश्यों को स्पष्ट किया। अपने बताया कि दुनिया मे पानी की बिक्री के लिए पहली फैक्ट्री 1848 में लगाई गई। भारत मे 1965 में पानी की बोतल बिकनी शरू हुई। पानी का कुल कारोबार लगभग 15 हज़ार करोड़ है जिसे रोका  जाना जरूरी है।

दूसरे वक्ता राजकुमार गुप्ता ने वाटर बॉडीज को जीवित करने के लिए जलाधिकार फाउंडेशन के द्वारा किये जा रहे कार्यों  का वर्णन किया। अपने बताया कि दिल्ली में 724 वाटर बॉडीज है लेकिन उनमें से केवल 20 ही जीवित हैं। उनका मानना था कि पानी बोतल में होने के कारण कैंसर का कारण बनता है।
वरिष्ठ पत्रकार और विजिटिंग प्रोफेसर महेंद्र सिंह परिहार ने चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के भयावह स्थिति से परिचित कराया।उन्होंने बताया कि भोपाल, नैनीताल और अन्य झीलों को उन्होंने पूरे साल लबालब भरे कभी नही देखा। उन्होंने तालाबो पर अतिक्रमण की समस्या की तरफ ध्यान खींचा।
सुश्री श्रुति गुप्ता ने खुद के द्वारा छोटी सी पहल किये जाने का वर्णन किया। चाहे वह प्लास्टिक, बिस्कुट के पैकेट, फल या कोई भी कबाड़ हो, यदि खुद उसे उसकी सही जगह पहुचायेंगे तो सफाई आराम से हो सकती हैं।
जलाधिकार फाउंडेशन के सचिव कैलाश जी ने बताया कि वे 2012 से जल के क्षेत्र में काम कर यह है। पानी फ्री में मिलता है और फ्री में ट्रांसपोर्ट होता है। पानी का कोई संकट नही है। संकट पानी के मैनेजमेंट का है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल मे सभी नदियों के अपने आप को शुद्ध कर लिया है।
वेबनार में श्रोताओं ने प्रश्न भी किये और उन उत्तर भी दिए गए।
वेबनार में श्रीमती गुप्ता ने भी अपने विचार प्रकट किए
अंत मे कैलाश जी ने सब का धन्यवाद किया।
प्रोफेसर बीर सिंह निगमने इस आयोजन का  संयोजक किया।