
सामुदायिक आधार पर जलग्राम जखनी का बढ़ता प्रभाव -एक रिपोर्ट
-लोकेश शर्मा
14 -15 मार्च 2020 को खजुराहो में जल समागम का आयोजन किया गया । दिल्ली के प्रेस
क्लब में 19 दिसंबर 2019 को आयोजित कार्यक्रम में भारत सरकार के जल सचिव श्री यू. पी. सिंह
की उपस्थिति में जलग्राम जखनी के निदेशक टिल्लन रिछारिया और संस्थापक जलयोद्धा
उमाशंकर पांडे ने खजुराहो के इस समागम की घोषणा की थी ।

विश्व स्तर पर फैल रहे कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण अधिकांश कार्यक्रमों के स्थगित होने के माहौल में इस कार्यक्रम का आयोजन एक ऐतिहासिक निर्णय साबित हुआ । कार्यक्रम को किसी बड़े सभागार में न करने का निश्चय आयोजन समिति ने किया और ‘ जल की बात जलाशय पर ‘ की थीम पर करने का निर्णय लिया गया ।
डॉ. शिवपूजन अवस्थी ने गांव किसान और समाज के समन्वय से लोगों के साथ-साथ सामाजिक
संस्थाओं को भी कार्यक्रम में आमंत्रित किया ।
सर्वप्रथम 14 मार्च को प्रातः जखनी के तालाबों से लाए गए जल से सुधीर शर्मा की अगुआई में मतंगेश्वर महाराज का अभिषेक किया गया। सभी अतिथियों के साथ जखनी, खजुराहो और छतरपुर से पधारे लोगों ने खजुराहो के तालाबों, बावडियों में मतंगेश्वर महाराज के अभिसिंचित जल से पूजन किया ।


लगभग 11:00बजे सभी अतिथियों के साथ विभिन्न क्षेत्रों से पधारे जलयोद्धाओं ने प्रेमसागर तालाब के किनारे पेड़ों के बीच में परिचय के साथ चर्चा शुरू की । लगभग 12:00 बजे तिरुपति विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति तिरुपति स्वामी जी मन्नत बाबाजी के साथ पधारे । बाबा जी के हाथों कलश स्थापन, माल्यार्पण और जखनी के बुनकर हाथों से निर्मित शाल से अतिथियों का स्वागत,सम्मान किया गया ।

अपने स्वागत भाषण में कार्यक्रम की उपयोगिता और उपादेयता बताते हुए उमाशंकर पांडे ने कहा
कि जल हम सभी का है और पानी सरकार का नहीं समाज का मुद्दा है, जल के लिए हमीं को
पुरुषार्थ करना होगा । सूखाग्रस्त बुंदेलखंड में सरकारी कार्यों के आंकड़े देते हुए उन्होंने कहा कि
सूखाग्रस्त बुंदेलखंड को पानीदार बनाकर ही हम दम लेंगे । हर गांव-शहर के जल स्रोतों को
जागृत करेंगे । किसानों को सहयोग करके खेतों की मेडबंदी कराएंगे और मेड पर पौधों का रोपण
करके वर्षा जल को खेतों में ही रोकेंगे । गांव के तालाबों को पुनर्जीवित करेंगे । गांव के वर्षा जल
और दूषित जल का प्रबंधन कर तालाबों, खेतों की ओर मोड़ देंगे । परंपरागत खेती-किसानी से
किसानों की आय को बढ़ाएंगे । नौजवानों को गांव आधारित व्यवसाय में जोड़कर पलायन रोकेंगे
। गांव की महिलाओं की सहयोगी भूमिका से गांव को स्वावलंबी बनाएंगे ।
मन्नत बाबा ने जलग्राम जखनी को भारत के प्रयासों की बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि
भारत के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जखनी की तर्ज पर पानी की खेती करनी होगी । खेती से उनका
तात्पर्य वर्षा जल को संरक्षित करना, गांव के दूषित जल का प्रबंधन करना था । उन्होंने कहा कि
पानी को बनाया नहीं जा सकता लेकिन बचाया जा सकता है अर्थात पानी का प्रबंधन, संरक्षण
ही पानी की खेती है ।
तिरुपति विश्वविद्यालय के उपकुलपति तिरुपति स्वामी ने कहा कि बुंदेलखंड की तरह पानी
बचाने की सामुदायिक पहल होनी चाहिए तभी समस्या का समाधान संभव है ।
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश से 1,600 किलोमीटर की यात्रा से आए ग्रीनमैन विजयपाल बघेल ने कहा
कि बुंदेलखंड के सूखे का समाधान यहाँ के समाज को ही करना है । वर्षा लाने वाले वृक्षों को
लगाया नहीं और थोड़ी बहुत होने वाली बारिश के पानी को व्यर्थ बहने के लिए छोड़ दिया । जल
बचाना है तो पेड़ लगाने होंगे, तालाब बचाने होंगे, जखनी की तरह खुद को, समाज को श्रम
करना होगा ।
जलग्राम जखनी के निदेशक टिल्लन रिछारिया ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम
आजाद से प्रेरणा लेकर उमाशंकर पांडे ने सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के गांव जखनी को जागृत किया
और सूखे बुंदेलखंड में अपने गाँव को पानी के प्रति स्वाबलंबी बनाया । सम्पूर्ण बुंदेलखंड को
पानीदार बनाने के लिए हर गांव में जल संकल्प सहयोगी बनाए जाएंगे, उन्हें जखनी का मॉडल
सिखाएंगे जो अपने-अपने गाँव को जलग्राम बनायेंगे ।
परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश से पधारे लोकेश शर्मा ने कहा कि समाज की जागरूकता से ही
संसाधन संरक्षित रह पाएंगे । हम और हमारे समाज ने ही नदी, तालाबों पर अतिक्रमण कर जल
स्रोतों को समाप्त कर दिया है । जल स्रोतों को जागृत करना होगा, जखनी की तरह खेत पर मेड
और मेड पर पर लगाना होगा, जीवन को बचाना होगा ।प्रांत पर्यावरण प्रमुख श्री रामकृष्ण जी ने जखनी की तर्ज पर देश का पर्यावरण बचाने की सराहना की ।

वैश्विक संपदा- जखनी विशेषांक का विमोचन किया गया
14 मार्च को ही पश्चिम बंगाल के पूर्व प्रमुख सचिव श्री प्रमोद अग्रवाल जी द्वारा संपादित पत्रिका
वैश्विक संपदा- जखनी विशेषांक का विमोचन किया गया । जल के लिए कार्य करने वाले कपिल
सिंह बुंदेला, यूसुफ बैग, राजीव शुक्ला पत्रकार, प्रदीप सेन, देवेंद्र, सुमन, हीरा सिंह, वीरेंद्र
राजपूत, पत्रकार नीरज, सोनी डब्बू महाराज, पत्रकार विनोद भारती, उत्तम सिंह और जीतू शर्मा
सहित लगभग दो दर्जन लोगों को सम्मानित किया गया ।
अगले दिन 15 मार्च को
चिंतन बैठक से पूर्व जखनी से लाए तालाबों के जल से खजुराहो के एकमात्र ब्रह्मा मंदिर का अभिसिंचन करने के बाद खजुराहो के पुरातन जल श्रोतों, बावड़ी और वट वृक्ष का अभिसिंचन, पूजन किया गया । अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त योगाचार्य जमुना प्रसाद मिश्रा, महोबा से समाजसेवी मनोज तिवारी, टिल्लन रिछारिया, लोकेश शर्मा, डॉ. शिव पूजन अवस्थी,
जीतू शर्मा और स्थानीय पत्रकारों ने हिस्सा लिया ।

योगाचार्य जमुना प्रसाद मिश्रा जी ने कहा कि पांच तत्वों से बने शरीर में जल सबसे अधिक है
और जल अपने अलावा अग्नि, वायु और आकाश के तत्वों की पूर्ति भी करता है इसलिए जल
का संरक्षण अति आवश्यक है । मनोज तिवारी ने कहा कि जल बचाना हम सभी की जिम्मेदारी
हैं ।

उमाशंकर पांडे ने आंकड़ों के साथ बताया कि पृथ्वी पर 70% जल में से 3% ही पीने लायक है
जिसका 0.08% ही शरीर के लिए उपयोगी है । उन्होंने कहा कि वातानुकूलित कमरों में बैठकर
नहीं वरन जलाशय पर बैठकर ही जल का समाधान हो सकता है । जल की भयावहता का वर्णन
करते हुए उन्होंने कहा कि निशुल्क पानी पिलाने वाले भारत में 15 रूपये से 150 रूपये तक
जल बिक रहा है तो कहां से किसान जल पिएगा और किस जल से खेती करेगा । ऋषियों द्वारा
दिए खेती-किसानी के परंपरागत संसाधनों और तरीकों से ही जल बचाया जा सकता है ।
टिल्लन रिछारिया ने कहा कि जब मानव की आंखों में ही पानी नहीं बचा तो नदी, तालाब,
बावडियों में कहां से बचेगा । उनका इशारा जल श्रोतों को दूषित करती बेशर्म आँखों से था ।
परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के लोकेश शर्मा ने कहा कि समाज के जागरूक रहने से ही जल के
साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित किया जा सकता है ।
चिंतन बैठक में ऋषिकुल आश्रम समिति, श्री विज्ञान बाल विद्या समिति, लवकुशनगर, ओजस्वी
फाउन्डेशन, पंडित रामस्वरूप उपाध्याय महाविद्यालय, खजुराहो डेवलपमेंट एसोसिएशन ने
सहभागिता की ।
चिंतन बैठक के विचार बिंदु –
1- बुंदेलखंड को पानीदार कैसे बनाएं
2- जलग्राम के मॉडल को आगे कैसे बढ़ाये
3- जल स्रोतों को जागृत कैसे करें
4- समाज को जागरूक कैसे करें
सुझाव –
1- जखनी की तर्ज पर सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के गांव, समाज बिना सरकारी अपेक्षा के स्वयं के
परंपरागत संसाधनों से जल स्रोतों को जगाएं । तालाब, कुएं, बावडियों को पुनर्जीवित करें
।
2- पानी की फसल बोकर यानी वर्षा जल संग्रह करके, संरक्षित करके । खेतों की मेडबंदी करें
और मेड पर पेड़ लगायें । गाँव के दूषित जल का प्रबंधन कर गाँव में ही उपयोग करें ।
3- जखनी के अनुभवी लोगों की टीमें बनायी जाए जो विभिन्न विषयों पर जलग्राम बनाने के
लिए जल संकल्प सहयोगियों का मार्गदर्शन और सहयोग करे ।
4- हर गांव में जल संकल्प सहयोगी बनाए जाएं जो गांव को जागरूक करें और जखनी
आकर जल संरक्षण के प्रारूप को देखें, सीखें और अपने गांव में उसी तर्ज पर कार्य कराएं
। जखनी के लोगों को अपने गांव में बुलाकर मार्गदर्शन लें । जल और रोजगार का प्रबंधन
करें ।
5- संपूर्ण सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के गांवों का खाका तैयार करें ।
6- गांव की संपूर्ण जानकारी लें ।
7- जल श्रोतों की जानकारी लें ।
8- भूमि की स्थिति की जानकारी लें और बुंदेलखंड के गांवों की यात्रा का मार्ग और समय
निर्धारित करें ।
9- स्थानीय प्रशासन से तालमेल करें ।
10- जलग्राम जखनी की जल संरक्षण योजना का तरीका बताते हुए, दर्शाते हुए छोटी-छोटी
फिल्में बनाएं ।
11- जल श्रोतों के पुनर्जीवन का प्रारूप तैयार करें ।
12- जल संरक्षण का उद्देश्यपरक संक्षिप्त साहित्य तैयार करें ।
13- फलदार वृक्ष सूची बनाएं ।
14- सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के सभी गांवों की यात्रा पथ की योजना बनाकर बुंदेलखंड के हर गांव
में प्रवास करें । सभा करें । फ़िल्में दिखाएँ । साहित्य बाँटें । तत्कालीन रूप से मेड़बंदी
कराएँ और तालाब पुनर्जीवन आरंभ करा दें ।
15- एक गांव में एक या दो दिन का प्रवास रखे और हर ग्राम को जलग्राम जखनी की तर्ज
पर जल संकल्प सहयोगियों की मदद से स्थानीय लोगों से अपनी देखरेख में व्यवस्थित
कराएँ ।
16- ग्राम में उत्पादित फसलों का डाटा लें ।
17- जनसंख्या विवरण लेकर बच्चे, युवा और बुजुर्ग स्त्री-पुरुषों के आंकड़ों से उपयुक्त कृषि
आधारित रोजगार की जानकारी का प्रारूप बना लें । रोजगार प्रशिक्षण के उपयुक्त केंद्रों की
लिस्ट और समाधान की सूची रखें ततसंबंधी रोजगार का लाभ-हानि ब्योरा बताएं और
नव युवकों को रोजगार के लिए प्रेरित करें ।जल संकल्प सहयोगियों के माध्यम से
उनका मार्गदर्शन कर कृषि आधारित रोजगार स्थापना में उनका सहयोग करें ।
यह कार्यक्रम पूरे सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के लिए सुझाव है जिसके क्रियान्वन से बुंदेलखंड को
एक सीमित और एक निश्चित समय में पानीदार और रोजगार परक बनाने के संकल्प
को पूरा करें ।
