May 2, 2025

जखनी के लोगों का खजुराहो में जल  संकल्प अनुष्ठान

 

# बैचैन नदियां # डूबते तालाब  # उजड़ते जंगल # जल मित्र सम्मान

नई दिल्ली /  जलग्राम जखनी के लोग देश की राजधानी दिल्ली में अपनी उपलब्धियों की बानगी प्रस्तुत करने के बाद अब 14-15 मार्च 2020 को देश के ह्रदय स्थल कला तीर्थ खजुराहो में ‘ जलपर्व ‘ का आयोजन कर रहे हैं। जखनी गांव को नीति आयोग ने जलग्राम का मॉडल घोषित किया है. इसी तर्ज पर जल संकट से जूझ रहे देश के 1050 गांवों को जखनी जैसा जलग्राम बनाने की भी घोषणा की गई है. सूखे से जूझ रहे बुंदेलखंड के बांदा जिले का जखनी गांव देशभर के लिए मिसाल बना है. जखनी ने जिस तरह खुद को बदला, उसका अध्ययन करने इजरायल सहित देश-विदेश के कृषि वैज्ञानिक आ रहे हैं. किसी वक्त सूखाग्रस्त रहे इस गांव में आज जहां वॉटर टेबल 20 फीट पर आ गया है. वहीं ना सिर्फ यहां मौजूद 5 पुराने तालाब आज लबालब भरे हैं बल्कि और नए तालाब भी खोदे गए हैं. इनमें भी बरसात के बाद पानी आ गया है. बांदा जिले में मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर की दूरी पर महुआ ब्लॉक के इस गांव की आबादी 2562 के करीब है. यहीं पर कृषि भूमि करीब 2472 बीघा है. गांव में 33 कुएं हैं, 25 हैंडपंप हैं और करीब छह तालाब हैं. 

नई दिल्ली में 25 दिसंबर 2019 को विज्ञान भवन में आयोजित ‘ अटल भू जल योजना ‘ के कार्यक्रम में जलग्राम जखनी  के 1 0  प्रतिनिधि भारत सरकार के आमंत्रण पर शामिल हुए  . इस आयोजन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उस परम्परागत जल संरक्षण पर जोर दिया , जिस तर्ज़ पर जल संरक्षण करके  जलग्राम जखनी के लोग आज  मिसाल  कायम कर चुके हैं। 

   जलग्राम जखनी के लोग दिल्ली में  

  प्रेस क्लब के सभागार में 19  दिसंबर 2019  आयोजित कार्यक्रम ‘जलग्राम जखनी के लोग देश की राजधानी दिल्ली में ‘  भारत सरकार के जल सचिव उपेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि बिना किसी सरकारी मदद के जखनी ने निर्भरता  के सारे बन्धनों को पीछे छोड़ दिया है और आज जखनी पूरे विश्व के लिए जल स्वावलंबन में एक आदर्श उदाहरण है और वास्तविकता में आकाल पीड़ित बुंदेलखंड का जलतीर्थ है | जमीनी तौर पर गिरते हुए भूजल स्तर के लिए जखनी का माडल आज पूरे देश में प्रयोग में लाना चाहिए | भारत के गावों ने ही नहीं इजरायल ने भी इस प्रयोग को देखकर स्वीकार किया है | ये गाँव के जागरूक और कर्मठ उमाशंकर की बदोलत हुआ है, भारत का हर किसान उमाशंकर बन जाये तो कहीं कोई किसान जल के लिए नहीं तरसेगा |  

गंगा एक्शन प्रोग्राम के प्रथम निदेशक और प. बंगाल के पूर्व प्रमुख सचिव श्री प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि जखनी ने नदी जल पर निर्भर न होकर बरसात के पानी को खेतों में बड़ी मेड बनाकर उसे प्राकृतिक संसाधनों तालाब, कुँओं में कुशल प्रबंधन के द्वारा समायोजित करके भूजल को पुनर्जीवित कर लिया जो हमारी ऋषि मुनियों द्वारा दी गई जल संग्रहण की पुरातन पद्धति है | हमें अपने ऋषि मुनियों की दी इस व्यवस्था को पूरे देश के किसानों को समझाना और बताना होगा यही आज के समय में जल और गिरती भूजल समस्या का समाधान है | 

 कृषि एवं प्रद्योगिक विश्वविद्यालय बाँदा के निदेशक श्री एन. के. बाजपई ने कहा कि जखनी के जल संग्रहण और कृषि का माडल पुरे देश में प्रयोग में लाना अतिआवश्यक है | प्रसार भारती के अतिरिक्त महानिदेशक राजशेखर व्यास ने कहा की देश के प्रचार माध्यमों से जखनी के माडल को जोर शोर से किसानों के बीच प्रस्तुत करना आज की आवश्यकता है | एक लाख गावों में एकल विद्यालय संचालित करने वाले एकल अभियान के अध्यक्ष नंद्किशोर अग्रवाल ने कहा कि एकल अभियान जखनी के प्रयोग को एकल के माध्यम से देश के गावों में शिक्षा के माध्यम से लेकर जाय्रेगा | भारत सरकार के पूर्व सचिव विश्वपति त्रिवेदी ने कहा कि जखनी ने भारत की पुरातन जल संग्रहण पद्द्ति को पुनर्जीवित कर स्वावलंबन की दिशा में एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है

 नीति आयोग के आदर्श जलग्राम जखनी के सन्देश “खेत पर मेड, मेड पर पेड़” के साथ जल मित्र – अनुपम सम्मान का आयोजन  में  कार्यक्रम के निदेशक टिल्लन रिछारिया ने बताया कि जल संसाधनों और विशेषकर तालाबों के लिए जीवन पर्यंत कार्यरत कर्मठ योद्धा अनुपम मिश्र जी को समर्पित इस कार्यक्रम में जल को लेकर देश के विभिन्न भागों से आये हुए विद्वतजनों और अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यरत जल मित्रों का सम्मान किया गया | सूखे और भुखमरी के लिए चर्चा में आये उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड के बाँदा जिले से केवल 14 किलोमीटर की दूरी पर महुआ ब्लाक के गाँव जखनी के पुरुषार्थी श्री उमाशंकर पाण्डेय ने 15 वर्ष पूर्व ने बिना किसी सरकारी मदद के गाँव के जलश्रोतों को जीवंत करने का संकल्प गांववासियों के साथ लिया और आज जखनी जल के मामले में आत्मनिर्भर होकर भारत ही नहीं पूरी दुनिया में अपनी खेती-किसानी और पैदावार के लिए आत्मनिर्भर गाँव बन गया |

 आज से करीब पंद्रह  साल पहले गांव के कुछ जागरूक लोगों ने जखनी के समाजसेवी उमाशंकर पांडेय की अगुआई में सर्वोदय आदर्श जल ग्राम स्वराज अभियान समिति का गठन किया. समिति ने लोगों को पानी बचाने को लेकर जागरूक करने की शुरूआत की, साथ ही गांव के घरों की नालियों से बहकर बर्बाद होते पानी को दूसरी नालियां बनाकर उसका रुख खेतों की तरफ कर दिया गया. ये पानी जब खेतों में पहुंचा तो सिंचाई के लिए उपयोग किया जाने लगा.

जिस खेत पर मेड़ होगी, मेड़ पर पेड़ होगा, पानी वहीं रुकेगा 

जखनी के समाजसेवी उमाशंकर पांडेय बताते हैं कि हमने कुछ नया काम नहीं किया बल्कि पुराने कामों को फिर से जीवित किया. उनका कहना है कि बुंदेलखंड में जब हरबोला किसानों ने काम किया तो उन्होंने खेत पर मेड़ बनाई, हम ये बात जानते थे कि अगर खेत में पानी रुकेगा तो वो मेड़ बनाकर रुकेगा. जिस खेत पर मेड़ होगी, मेड़ पर पेड़ होगा, पानी वहीं रुकेगा, पानी रुकेगा तो उसमें बासमती आसानी से उगेगा, लोगों की आय भी होगी और भूजल स्तर भी बढ़ेगा.

आज जखनी गांव में गरीब से गरीब किसान 50 हजार की धान पैदा करता है, जिसके पास कभी साहूकार का कर्ज चुकाने के पैसे नहीं होते थे. आज बैंक में उसके पास खुद का एक लाख रुपया पड़ा हुआ है. यहां तीन बीघे खेत वाले किसान के पास भी ट्रैक्टर है, हार्वेस्टर मशीन पूरे बांदा जिले में यहीं के किसान मामून खां के पास ही है.

जिस बुंदेलखंड की चर्चा पलायन, भुखमरी, गरीबी, अशिक्षा, जल संकट जैसी विभिन्न समस्याओं के लिए साल भर होती रहे पीने का पानी मालगाड़ी द्वारा दिल्ली से बुंदेलखंड लाया जाए। उसी बुंदेलखंड के जनपद बांदा के ग्राम जखनी के जल संरक्षण से 15 वर्ष के सामूहिक परंपरागत प्रयास ने देश के सामने गांव में पानी और पलायन रोककर देश के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया है।

सरकार से कोई अनुदान नहीं लिया गया 

जल संरक्षण के इस सामूहिक प्रयास में ना तो सरकार से कोई अनुदान लिया गया और ना ही नई मशीन तकनीक का इस्तेमाल किया गया स्वयं गांव के किसानों नौजवानों बेरोजगारों ने फावड़ा उठाया, समय दिया, श्रमदान किया, मेड़ बंदी की, गांव में जल रोका, गांव के पानी को जगाया, गांव को पानीदार बनाया। अपने गांव को देश का पहला जल ग्राम बनाया देश के 1050 जल ग्रामों को जन्म देने की प्रेरणा दी। जखनी गांव के किसानों के इस परंपरागत जल संरक्षण विधि को समझने के लिए इजराइल सरकार की जल विशेषज्ञ, टीम वर्ल्ड वाटर रिसोर्स ग्रुप 2030 कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा, केंद्रीय भूजल बोर्ड उत्तर प्रदेश, जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी जखनी के जल संरक्षण के सामूहिक प्रयास पानी और पलायन रोकने के तरीकों पर कई वर्षों से चर्चा कर रहे हैं शोध कर रहे हैं अनुकरण कर रहे हैं जखनी मॉडल को देश में लागू कर रहे हैं। भले ही गांव के इन किसानों के पास औपचारिक रूप से कोई डिग्री ना हो शिक्षा ना हो लेकिन उनका यह सूखे बुंदेलखंड में जल संरक्षण का तरीका खेत के ऊपर मेड मेड के ऊपर पेड़ किसी विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता से अधिक शिक्षित होने का प्रमाण है।

 कला तीर्थ खजुराहो में ‘ जलपर्व ‘ का आयोजन  जलग्राम जखनी के लोगों के लिए एक अनुष्ठान है उस अभियान का शुभारम्भ जहां से जलग्राम जखनी की कार्य पद्धति का देश दुनिया के सामने विधिवत खुलासा हो सके। लोग देख सकें एक सामान्य सा गांव जखनी कैसे नीति आयोग का आदर्श जलग्राम बना। इस आयोजन स्थल से  जलग्राम जखनी तक जाने की व्यवस्था होगी। आप प्रत्यक्ष देख सकेंगे कि  जखनी लोगों ने इन 15 सालों में किया क्या है। इस विशेष आकर्षण के साथ दो दिवसीय आयोजन के 4 सत्र होंगे। विषय ये रहे –

 # बैचैन नदियां # डूबते तालाब # उजड़ते जंगल # जल मित्र सम्मान।